-गांव में दो गुट, वर्चस्व की लड़ाई में पीस रहा पुजारी परिवार
-कुछ लोगो द्वारा गाँव में अशांति पैदा करना I
-नये मंदिर का निर्माण व् भगवान की प्राण प्रतिष्ठा फरवरी 24 में सम्पन I
उदयपुर (N8न्यूज़ नेटवर्क ): शहर 10 किलोमीटर दुरी पर राजस्व ग्राम टीलाखेड़ा 100 से अधिक वर्ष से रह रहे पुजारियों की घर की जमीन को गाँव का अधिकार बताने का आरोप घर वालो ने लगाया खबरो के मुताबिक सामने आया है की टीलाखेड़ा मे स्थित पुजारियों के कुछ गाँव वालो ने जयादती बरती रिपोर्ट के मुताबिक टीलाखेड़ा मे 100 साल पुराना मंदिर गाँव मे पुजारीपरिवार के निवास स्थान पर स्थित था जहां टीलाखेड़ा गाँव में विवाद उत्पन्न हो गया गंभीर स्थिति मे चारभुजा जी की मूर्ति को पुजारियों के घर मे विराजित किया... कई वर्ष बाद जब पुराने मंदिर का विवाद समाप्त हुआ और मंदिर पुनः अपनी भव्य स्थिति मे आ गया | अब गाँव वालो ने पुजारियों की जमीन को अपना बताकर वहाँ पुजारियों के घर को तोड़कर, उनकी घर की जमीन पर एक और मंदिर बनाने की इच्छा व्यक्त की मगर जमीन के सभी कानूनी दस्तावेज पुजारियों के नाम पर है, इसके उपरांत गाँव वालो ने घर की जमीन को अपना बताकर, पुजारियों को बेघर करने का प्रयत्न कर रहे और दिन रात दंगा फसाद कर रखा है| विचार की बात ये है कि छोटे गाँव मे एक स्थान पर दो मंदिर की आवश्यकता ही क्या है, जब सार्वजनिक भव्य मंदिर है तत्पश्चात पुजारियों की जमीन पर जमीन पर अधिकार का सवाल ही नही उठता | बताया जा रहा है विवाद काफी गंभीर है कुछ समय पहले किसी मंद बुद्धि के द्वारा घर मे स्थित मूर्ति को तोड़ दिया था, पीढ़ियों पुरानी मूर्ति को तोड़ दिया गया, उस समय गाँव वालो पर इस घटना का कोई प्रभाव नही पड़ा, किसी ने कोई आक्रोश व्यक्त नही किया, नये मंदिर के निर्माण के पश्चात् , अब सबमे भक्ति का सैलाब उमड़ आया और उल्टा घर वालो पर मूर्ति तोड़ने का झूठा आरोप लगाया और जमीन हड़पने का गलत आरोप लगाया|
इस परपुजारी परिवार द्वारा विरोध व्यक्त करते हुए थाने मे मामला दर्ज कराया| गाँव वाले अपनी गलत मांग का समर्थन भारी संख्या मे कर रहे है| घर वालो की परेशानी का हल जल्द से जल्द निकाला जाए, वहाँ के पुजारियों को गाँव वालो से खतरा है|
ज्ञात रहे अभी कुछ माह पूर्व ही गांव वासियो द्वारा नए मंदिर के अंदर मूर्ति स्थापना व प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन हुआ था, उक्त नवनिर्मित मंदिर भी करीबन 5-7 वर्षो से भी अधिक समय से बनने के बाद पड़ा रहा क्यों की गांव में दो गुट होने से एक गुट उस मंदिर को बनने से ले कर बन जाने के बाद भी, भगवान को वहा विराजित करने के पक्ष में नहीं था, उक्त गुट द्वारा नए मंदिर के निर्माण में भी हमेशा बाधा बन कर खड़ा रहा, विरोधी गुट भगवान को उस पुराने मंदिर पर ही रखना चाहता था, ज़ब की गांव के अधिकतर लोग, नए मंदिर में भगवान को विराजित करना चाहते थे , दूसरा विरोधी गुट पुजारियों से द्वेष रखता था और किसी भी तरह से उन पुजारियों को बेदखल करना था, यह बात सही है पुजारी परिवार यहां 100 वर्षो से निवास करता है और उस वक़्त गांव में कोई मंदिर नहीं था, तो गांव के मौतबीर लोगों ने तय किया जहाँ पुजारी निवास करते है वही भगवान को प्रतिस्थापित कर दिया जाये और पुजारी वहा ही सेवा करते रहेंगे, ज़ब भी गांव वालों द्वारा नए मंदिर का निर्माण करवा कर भगवान को नए मंदिर में विराजित करने बाद, उक्त जमीन जो पुजारियों के निवास की वो अपने हिसाब उसका उपयोग करते रहेंगे, उसी अनुसार नया मंदिर बन गया, और भगवान भी नए मंदिर विराजित हो गये परन्तु जो विरोधी गुट को यह पचा नहीं, उनको अपनी हार लगी, कुछ माह पूर्व भी किसी असामाजिक तत्व द्वारा भगवान की मूर्ति को खंडित कर दिया गया, जिसका मामला व राजीनामा भी पुलिस थाने में किया गया था, बात भगवान की नहीं अब मूछों की हो गई थी, भगवान का मंदिर बनने के बाद तो दूसरे मंदिर की जरुरत भी नहीं है, ज़ब इतना भव्य मंदिर बना हुआ है और वहा सात दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा के भव्य आयोजन के बाद इस छोटे से पुराने मंदिर की आवश्यकता भी नहीं इतना बड़ा गांव या इतनी आबादी भी नहीं है, फिर ये सब क्यों और क्यों यहां मंदिर बनाना, झूठे आरोप लगाना, कुल मिला कर पुजारियों को बेदखल करना व दूसरे को निचा दिखाना, मुख्य मकसद है, ज़ब भगवान की मूर्ति को खंडित किया तब कोई धरना प्रदर्शन नहीं किया, ज़ब कैसे शांत रहे सब लोग तब किसी को भगवान की चिंता नहीं थी तब कलेक्ट्री और थाने में धरना नहीं दिया तो अब क्यों हो रहा है ये सब ये एक सोचनीय बात, क्यूँ अब गांव में माहौल ख़राब किया जा रहा है